राम दुआरे तुम बैठे हो, मेरे हृदय विराज रहे |
नैया मेरी हाथ तुम्हारे, इसको तुम ही हांक रहे ||
चाहे इसको पार लगाओ, चाहे इसे डुबाओ |
पैर नहीं छोडूंगा तेरा, जितना चाहे भगाओ ||
कह ना पाता बात कोई मैं , कहती दुनिया सारी |
पर तुम अंतरयामी हो ,फिर काहे कर दी देरी ||
अंत समय आया अब मेरा, छूट रही है सांस|
एक तुम्ही हो जिससे मैंने लगा रखी है आस ||
Wednesday, May 26, 2010
Thursday, May 20, 2010
प्रार्थना
गदा लिए बजरंगी आओ, मेरी जान बचाओ |
भंवर फँसी है नैया मेरी इसको पार लगाओ ||
लाकर राम मुद्रिका दीन्ही, सीता मन हरषाया |
दे दो अभय दान अब मुझको क्यों इतना तड़पाया ||
लंक जारि कर अक्ष मारि कर तुमने नाम कमाया |
मुझे सहारा देने में फिर क्यों है समय लगाया ||
करूँ शिकायत तेरी तुमसे,करो न्याय अब भगवन |
दे दो अपनी दया दृष्टि मैं अर्पण कर दूँ तन मन ||
भंवर फँसी है नैया मेरी इसको पार लगाओ ||
लाकर राम मुद्रिका दीन्ही, सीता मन हरषाया |
दे दो अभय दान अब मुझको क्यों इतना तड़पाया ||
लंक जारि कर अक्ष मारि कर तुमने नाम कमाया |
मुझे सहारा देने में फिर क्यों है समय लगाया ||
करूँ शिकायत तेरी तुमसे,करो न्याय अब भगवन |
दे दो अपनी दया दृष्टि मैं अर्पण कर दूँ तन मन ||
Friday, May 14, 2010
विनती
और नहीं कुछ पास हमारे, क्या मैं करूँ समर्पण|
असुंअन का सागर लाया हूँ, करने तुमको अर्पण ||
कष्टों का ब्रम्हास्त्र चला कर, किसने तुमको रोका है|
लाज बचाने जल्दी आओ, तुम्हे आखिरी मौक़ा है||
रामसिया की शपथ तुम्हे है, अंजनी पुत्र बजरंगी|
देकर अपनी शक्ति मुझे, अब कर लो अपना संगी||
समय गया अब देर हो गयी, अब तो खोलो लोचन|
जागो पवन तनय तुम ,सिद्ध करो हो संकटमोचन||
असुंअन का सागर लाया हूँ, करने तुमको अर्पण ||
कष्टों का ब्रम्हास्त्र चला कर, किसने तुमको रोका है|
लाज बचाने जल्दी आओ, तुम्हे आखिरी मौक़ा है||
रामसिया की शपथ तुम्हे है, अंजनी पुत्र बजरंगी|
देकर अपनी शक्ति मुझे, अब कर लो अपना संगी||
समय गया अब देर हो गयी, अब तो खोलो लोचन|
जागो पवन तनय तुम ,सिद्ध करो हो संकटमोचन||
Thursday, May 13, 2010
काज सुगम करते तुम
दुर्गम काज सुगम तुम करते कहते हें सब लोग
मेरा काज नहीं क्यों करते क्यों मैं भोगूँ भोग
तुम समरथ तुम स्वामी मेरे तुम हो मेरे भाई
फिर काहे आने में तुमने इतनी देर लगाई
पैरों में बैठालो मुझको ह्रदय धरे रघुनन्दन
रो रो करके चरण पकड़ कर करता हूँ मैं बंदन
संग राम के जाकर तुमने सीता को मिलवाया
मुझको भी कर कमलों का अब दे दो ठंडा साया
मेरा काज नहीं क्यों करते क्यों मैं भोगूँ भोग
तुम समरथ तुम स्वामी मेरे तुम हो मेरे भाई
फिर काहे आने में तुमने इतनी देर लगाई
पैरों में बैठालो मुझको ह्रदय धरे रघुनन्दन
रो रो करके चरण पकड़ कर करता हूँ मैं बंदन
संग राम के जाकर तुमने सीता को मिलवाया
मुझको भी कर कमलों का अब दे दो ठंडा साया
Sunday, May 2, 2010
सुनो रे बजरंगी हमरी गुहार
जय श्री राम
राम दूत अंजनी पुत्र , कुछ कहें केसरीनंदन ,
पर मैंने तो अग्रज माना,करूँ तेरा अभिनन्दन .
रामानुज की जान बचाने लाये तुरत संजीवन,
इस छोटे का कष्ट मिटाने में देरी क्यों भगवन .
सीताराम हृदय बैठारे अंजनी के हो दुलारे,
दे आशीष हमें अपना, हर लो अब संकट सारे.
अष्ट सिद्धि ना नव निधि माँगू, ओ जग के रखवाले,
चरणों की ऱज मिले मुझे तो सारा धन दे डाले.
राम दूत अंजनी पुत्र , कुछ कहें केसरीनंदन ,
पर मैंने तो अग्रज माना,करूँ तेरा अभिनन्दन .
रामानुज की जान बचाने लाये तुरत संजीवन,
इस छोटे का कष्ट मिटाने में देरी क्यों भगवन .
सीताराम हृदय बैठारे अंजनी के हो दुलारे,
दे आशीष हमें अपना, हर लो अब संकट सारे.
अष्ट सिद्धि ना नव निधि माँगू, ओ जग के रखवाले,
चरणों की ऱज मिले मुझे तो सारा धन दे डाले.
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