Monday, November 21, 2011

प्रार्थना

जय गणेश, जय गणेश, जय हो श्री राम |
हनुमान हनुमान, दया करो हे बलवान | |
अंजनिपुत्र पवनसुत, अंतरयामी तुम हनुमान |
शरण मे ले लो, गोद बिठा लो , दे दो जीवन दान ||
राम तुम्ही हो, कृष्ण तुम्ही हो , तुम्ही हो मेरे भाई |
रक्षा करो दौड़ कर भैया, मेरे चारोँ तरफ कसाई ||
आया एक विभीषण फिर से , दो दो उसको मन्त्र |
नैया उसकी खेने वाला, बन जाओ एक यंत्र ||

Tuesday, November 8, 2011

वैष्णो माता की आरती

वैष्णो माता की आरती

जै वैष्णो माता, मैया जै वैष्णो माता ।
हाथ जोड़ तेरे आगे, आरती मैं गाता ॥
जै वैष्णो माता....
शीश पे छत्र बिराजे, मूरतिया प्यारी ।
गंगा बहती चरनन, ज्योति जगे न्यारी ॥
जै वैष्णो माता…
ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे, शंकर ध्यान धरे ।
सेवक चंवर डुलावत, नारद नृत्य करे ॥
जै वैष्णो माता…
सुंदर गुफा तुम्हारी, मन को अति भावे ।
बार-बार देखन को, ऐ मां मन चावे ॥
जै वैष्णो माता…
भवन पे झण्डे झूले, घंटा ध्वनि बाजे ।
ऊंचा पर्वत तेरा, माता प्रिय लागे ॥
जै वैष्णो माता…
पान सुपारी ध्वजा नारियल, भेंट पुष्प मेवा ।
दास खड़े चरणों में, दर्शन दो देवा ॥
जै वैष्णो माता…
जो जन निश्चय करके, द्वार तेरे आवे ।
उसकी इच्छा पूरण, माता हो जावे ॥
जै वैष्णो माता…

Saturday, November 5, 2011

गायत्री स्तवन

गायत्री स्तवन


शुभ ज्योति के पुंज, अनादि अनुपम, ब्रहमाण्ड व्यापी आलोक कर्ता ।

दारिद्रय दुःख भय से मुक्त कर दो पावन बना दो हे देव सविता ।। 1 ।।

ऋषि देवताओं से नित्य पूजित, हे भर्ग भव बन्धन मुक्ति कर्ता ।।

स्वीकार करलो वंदन हमारा, पावन बना दो हे देव सविता ।। 2 ।।

हे ज्ञान के घन त्रैलोक्य पूजित, पावन गुणों के विस्तार कर्ता ।

समस्त प्रतिभा के आदि कारण, पावन बना दो हे देव सविता ।। 3 ।।

हे गूढ़ अंतःकरण में विराजित, तुम दोष-पापादि संहार कर्ता ।

शुभ धर्म का बोध हमको करा दो, पावन बना दो हे देव सविता ।। 4 ।।

हे व्याधि नाशक हे पुष्टि दाता, ऋग्, साम, यजु वेद संचार कर्ता ।

हे भूर्भुवः स्वः में स्व प्रकाशित, पावन बना दो हे देव सविता ।। 5 ।।

सब वेद विद, चारण, सिद्घ योगी, जिसके सदा से है गान कर्ता ।

हे सिद्घ संतों के लक्ष्य शाश्वत, पावन बना दो हे देव सविता ।। 6 ।।

हे विश्व मानव से आदि पूजित, नश्वर जगत् मेंशुभ ज्योति कर्ता ।

हे काल के काल-अनादि ईश्वर, पावन बना दो हे देव सविता ।। 7 ।।

हे विष्णु, ब्रहादि द्घारा प्रचारित, हे भक् पालक, हे पाप हर्ता ।

हे काल-कल्पादि के आदि स्वामी, पावन बना दो हे देव सविता ।। 8 ।।

हे विश्व मंडल के आदि कारण, उत्पत्ति-पालन-संहार कर्ता ।

होता तुम्ही में लय यह जगत् सब, पावन बना दो हे देव सविता ।। 9 ।।

हे सर्वव्यापी, प्रेरक नियन्ता, विशुद्घ आत्मा कल्याण कर्ता ।

शुभ योग पथ पर हम को चलाओ, पावन बना दो हे देव सविता ।। 10 ।।

हे ब्रहृनिष्ठों से आदि पूजित, वेदज्ञ जिसके गुणगान कर्ता ।

सदभावना हम सब में जगा दो, पावन बना दो हे देव सविता ।। 11 ।।

हे योगियों के शुभ मार्गदर्शक, सदज्ञान के आदि संचार कर्ता ।

प्राणिपात स्वीकार लो हम सभी का, पावन बना दो हे देव सविता ।। 12 ।।