विश्वास का बल
किसी मनुष्य को लंका से समुद्र के पर जाना था I विभीषण ने कहा ---इस
वास्तु को कपडे के छोर से बांध लो तो बिना किसी बाधा के पार हो जाओ गे, जल
के ऊपर से चल कर जा सको गे; परन्तु खोल कर न देखना, खोलकर देखो गे तो डूब
जाओ गे I वह मनुष्य आनंदपूर्वक समुद्र के ऊपर से चला जा रहा था, विश्वास
की ऐसी शक्ति है I कुछ रास्ता पार करने के बाद वह सोचने लगा की विभीषण ने
ऐसा किया बांध दिया, जिसके बल से मैं पानी के ऊपर से चला जा रहा हूँ ! यह
सोच कर उसने गांठ खोली और देखा तो एक पत्ते पर केवल 'राम- राम ' लिखा था !
तब वह मन ही मन कहने लगा --- अरे, बस यही है ! ज्यों ही यह सोचा की डूब
गया I " यह कहावत प्रसिद्ध है की राम नाम पर हनुमान जी का इतना
विश्वास था की विश्वास के बल पर ही समुद्र लाँघ गये, परन्तु स्वयं राम जी
को सेतु बाँधना पड़ा था I " यदि उन पर विश्वास हो तो कठिन से कठिन कार्य को भी सुगमता से किया जा सकता है , असम्भव भी सम्भव हो जाता है "
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