दुनिया में तीन पर्यटक स्थल ऐसे हैं जहां कुदरत की खूबसूरती के दर्शन तो
होते ही हैं, साथ ही मानसिक शांति भी महसूस होती है। ये अद्वितीय और
चुंबकीय शक्ति का केंद्र भी हैं।
इनमें से एक भारत के उत्तराखंड में अल्मोड़ा स्थिति कसारदेवी मंदिर है। इन तीनों धर्म स्थलों पर हजारों साल पहले सभ्यताएं बसी थीं। नासा के वैज्ञानिक चुम्बकीय रूपसे इन तीनों जगहों के चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध कर रहे हैं। कसारदेवी मंदिर के आसपास पूरा क्षेत्र वैन में धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं।
इनमें से एक भारत के उत्तराखंड में अल्मोड़ा स्थिति कसारदेवी मंदिर है। इन तीनों धर्म स्थलों पर हजारों साल पहले सभ्यताएं बसी थीं। नासा के वैज्ञानिक चुम्बकीय रूपसे इन तीनों जगहों के चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध कर रहे हैं। कसारदेवी मंदिर के आसपास पूरा क्षेत्र वैन में धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं।
पिछले दो साल से नासा के वैज्ञानिक इस बैल्ट के बनने के कारणों को जानने
में जुटे हैं। इस वैज्ञानिक अध्ययन में यह भी पता लगाया जा रहा है कि मानव
मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है।
अब तक हुए इस अध्ययन में पाया गया है कि अल्मोड़ा स्थित कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं।
दुनिया में तीन पर्यटक स्थल ऐसे हैं जहां कुदरत की खूबसूरती के दर्शन तो होते ही हैं, साथ ही मानसिक शांति भी महसूस होती है। ये अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र भी हैं।
इनमें से एक भारत के उत्तराखंड में अल्मोड़ा स्थिति कसारदेवी मंदिर है। इन तीनों धर्म स्थलों पर हजारों साल पहले सभ्यताएं बसी थीं। नासा के वैज्ञानिक चुम्बकीय रूपसे इन तीनों जगहों के चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध कर रहे हैं। कसारदेवी मंदिर के आसपास पूरा क्षेत्र वैन में धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं।
अब तक हुए इस अध्ययन में पाया गया है कि अल्मोड़ा स्थित कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं।
दुनिया में तीन पर्यटक स्थल ऐसे हैं जहां कुदरत की खूबसूरती के दर्शन तो होते ही हैं, साथ ही मानसिक शांति भी महसूस होती है। ये अद्वितीय और चुंबकीय शक्ति का केंद्र भी हैं।
इनमें से एक भारत के उत्तराखंड में अल्मोड़ा स्थिति कसारदेवी मंदिर है। इन तीनों धर्म स्थलों पर हजारों साल पहले सभ्यताएं बसी थीं। नासा के वैज्ञानिक चुम्बकीय रूपसे इन तीनों जगहों के चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध कर रहे हैं। कसारदेवी मंदिर के आसपास पूरा क्षेत्र वैन में धरती के भीतर विशाल भू-चुंबकीय पिंड है। इस पिंड में विद्युतीय चार्ज कणों की परत होती है जिसे रेडिएशन भी कह सकते हैं।
पिछले दो साल से नासा के वैज्ञानिक इस बैल्ट के बनने के कारणों को जानने
में जुटे हैं। इस वैज्ञानिक अध्ययन में यह भी पता लगाया जा रहा है कि मानव
मस्तिष्क या प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है।
अब तक हुए इस अध्ययन में पाया गया है कि अल्मोड़ा स्थित कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं।

अब तक हुए इस अध्ययन में पाया गया है कि अल्मोड़ा स्थित कसारदेवी मंदिर और दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू व इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं।

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