84 महादेव : श्री मुक्तेश्वर महादेव (25)
कुछ दिनों तक वे ऐसे ही जप करने लगे फिर एक
बाघ वहां पर आया जो जल में खड़े ब्राह्मण को खाना चाहता था। तब ब्राह्मण ने
‘नमो नारायण’ का उच्चारण शुरू कर दिया। ब्राह्मण के मुख से निकले नमो
नारायण के उच्चारण सुनते ही वह बाघ अपनी देह त्याग उत्तम पुरुष के रूप में
परिवर्तित हो गया। ब्राह्मण के पूछने पर उसने बताया कि पूर्वजन्म में वह
दीर्घबाहु नाम का प्रतापी राजा था और वह समस्त वेद वेदांत में पारंगत था।
इस पर वह अभिमान करता था और ब्राह्मणों को कुछ नही समझता था। ब्राह्मणों के
अनादर करने पर उन्होंने क्रोधित हो उसे शाप दिया कि वह वह बाघ योनि को
प्राप्त हो कष्ट भोगेगा। तब उसने ब्राह्मणों की स्तुति की एवं कहा- हे
ब्राह्मण श्रेष्ठजन, में आप सभी का तेज जान गया हूं। आप ही में से अगस्त्य
मुनि ने समुद्र को जब अभिमान हुआ तो उसे पीकर खारा कर दिया था। उसका जल
पीने योग्य नहीं रहा। ब्राह्मणों के शाप से ही वातापि राक्षस नष्ट हुआ।
भृगु ऋषि के क्रोध से सर्व भक्षी अग्नि हुआ। गौतम मुनि के शाप से इंद्र
सहस्त्रयोनि हुए। ब्राह्मणों के शाप से विष्णु को भी दस अवतार लेने पड़े।
च्यवन मुनि की कृपा से देवताओं के वैद्य अश्विनी कुमारों को सोमरस पीने को
मिला। ब्राह्मणों के पराक्रम के ऐसे वचनों को कहता हुआ वह बारम्बार
ब्राह्मणों से क्षमा याचना करने लगा।
उसकी प्रार्थना से ब्राह्मण प्रसन्न हुए और
बोले कि जब तुम क्षिप्रा नदी जाओगे और वहां जल में खड़े किसी ब्राह्मण के
मुख से नमो नारायण कहते हुए सुनोगे तो तुम शाप से मुक्त हो बाघ योनि से भी
मुक्त हो जाओगे। इस प्रकार ब्राह्मण के मुख से भगवान नारायण का नाम सुनकर
उसकी मुक्ति हुई। तब ब्राह्मण उस राजा से बोले कि मेरी मुक्ति कैसे होगी?
मुझे तप करते हुए वर्षों हो गए लेकिन अब तक मुझे मुक्ति का मार्ग नहीं
मिला। तब उस राजा ने कहा कि आप कृपया महाकाल वन में स्थित मुक्तिलिंग के
दर्शन करें। आगे वह बोला, मुक्तिलिंग की महिमा बताने वाले को भी मुक्ति
प्राप्त होती है। तब राजा और ब्राह्मण दोनों महाकाल वन स्थित दिव्य
मुक्तिलिंग के पास आए और उनके दर्शन मात्र से वे दोनों उस लिंग में समा गए
जिससे उन्हें मुक्ति प्राप्त हुई।
दर्शन लाभ:
मान्यतानुसार श्री मुक्तेश्वर महादेव के दर्शन करने से मुक्ति प्राप्त होती है। इस लिंग की पूजा ऋषि-मुनि-देवता आदि भी करते हैं। उज्जयिनी स्थित चौरासी महादेव में से एक श्री मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर खत्रीवाड़ा में स्थित है।
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