Tuesday, June 22, 2010

संकट मोचन हनुमानाष्टक


बालि समय रवि भक्ष लियो, तब तीनहु लोक भयो अंधियारों |
ताहि सो त्रास भयो जग को, यह संकट काहू से जात न टारो|
देवन आनि करी बिनती, तब छाडी दियो रवि कष्ट निवारो|
को नहीं जानत है जग में, कपि संकट मोचन नाम तिहारो ||
बालि की त्रास कपीश बसे गिरि ,जात महा प्रभु पंथ निहारो |
चौंकि महामुनि श्राप दियो, तब चाहिए कौन उपाय विचारों |
करि द्विज रूप लिवाय महा प्रभु, सो तुम दास को शोक निवारो |
को नहीं जानत है जग में, कपि संकट मोचन नाम तिहारो ||
अंगद के संग लेन गए, सिय खोज कपीश यह बैन उचारो |
जीवत ना बचिहो हमसों, जो बिना सुधि लाये हियाँ पगु धारो |
हारि थके तट सिन्धु सबै, तब लाय सिया सुधि प्राण उबारो |
को नहीं जानत है जग में, कपि संकट मोचन नाम तिहारो ||
रावण त्रास दई सिय को, तब राक्षसी सोक हि शोक निवारो|
ताहि समय हनुमान महा प्रभु, जाय महा रजनी चर मारो||
चाहत सीय अशोक से आग, सो दे प्रभु मुद्रिका शोक निवारो|
को नहीं जानत है जग में, कपि संकट मोचन नाम तिहारो ||
बाण लग्यो उर लक्ष्मण के, तब प्राण तजे सुत रावण मारो|
ले गृह वैद्य सुषेन समेत, सभी गिरि द्रोण सु वीर उबारो|
आनि संजीवन हाथ दई, तब लक्ष्मण के तुम प्राण उबारो|
को नहीं जानत है जग में, कपि संकट मोचन नाम तिहारो ||
रावन युद्ध अजान कियो, तब नाग कि फाँस सबे सर डारो|
श्री रघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो|
आन खगेश तबै हनुमान, जो बंधन काटि के त्रास निवारो|
को नहीं जानत है जग में, कपि संकट मोचन नाम तिहारो ||
बंधु समेत जबै अहिरावण, लै रघुनाथ पताल सिधारो|
देवन्ह पूजि भली विधि सों, बलि देन सबैं मिलि मंत्र उचारो|
जाय सहाय भए तबहीं, अहिरावण सैन्य समेत संहारों|
को नहीं जानत है जग में, कपि संकट मोचन नाम तिहारो ||
काज किये बड़ देवन के, तुम वीर महाप्रभु देखि विचारों|
कौन सो संकट मोर गरीब, को जो तुमसों नहि जात है टारो|
बेगि हरो हनुमान महा प्रभु, जो कुछ संकट होय हमारों||
को नहीं जानत है जग में, कपि संकट मोचन नाम तिहारो ||

दोहा -लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर|
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि शूर||

Friday, June 18, 2010

राम राम राम रक्षा करो राम राम राम
जय हो हनुमान संग लेके आओ राम

Friday, June 11, 2010

रावण का अभिमान

सभी ब्राह्मण भाई बहनों से है मेरी विनती |
करते हो अभिमान अगर , तो गति रावण सी होती ||
रावण बड़ा ब्राह्मण था पर था ज्यादा अभिमानी |
पर मेरे प्रिय राम लखन ने कर दी खत्म कहानी ||
धन दौलत संपत्ति बहुत थी , था ज्योतिष का ज्ञानी |
खुद की पत्री ना पढ़ पाया ,हारा वो अभिमानी ||
राम लखन हनुमत तीनों ने उसका क्या कर डाला हाल |
ख़त्म हुआ था पूरा कुनबा जो था इतना बड़ा विशाल ||
चिरंजीव हैं हनुमत मेरे , उनको ना कोई अभिमान |
शक्ति पुंज हैं ज्योतिष ज्ञानी पर ना करते कभी बखान ||

Wednesday, June 9, 2010

राम को अर्जी

सीता राम प्रभु ने भेजा है अपना आदेश |
हनुमान को जल्दी से अब होना होगा पेश ||
करते क्यों ना काम भक्त का क्यों है इतनी देरी |
सिया राम दरबार में मेरी आयी अर्जी न्यारी ||
आज शिकायत सुनने को खुद आये मेरे राम |
अंजनीपुत्र को अब तो करना होगा मेरा काम ||

Monday, June 7, 2010

राम सिया संग हनुमान

चरण पकड़ लो राम सिया का, होगा तेरा बेड़ा पार |
हनुमान संग आये है प्रभु, लेकर शक्ति अपरम्पार ||
पिता वचन का किया बहाना ,मारे सारे दुर्जन |
दे आशीष भरो मेरी झोली, बोल रहा एक निर्धन ||
दूर करो अब तमस यहाँ का, हे सूरज के वंशज |
राम सिया को साथ में ले कर , आओ हनुमत अग्रज ||