Saturday, September 21, 2013

अनुपम माधुरी जोरी, हमारे श्याम श्यामा की।
रसीली रसभरी अखियाँ , हमारे श्याम श्याम की॥
कटीली भोंहे अदा बांकी, सुघर सूरत मधुर बतियाँ।
लटक गर्दन की मन बसियाँ, हमारे श्याम श्यामा की ॥
मुकुट और चन्द्रिका माथे, अधर पर पान की लाली।
अहो कैसी बनी छवि है, हमारे श्याम श्यामा की॥
परस्पर मिलके जब विहरें, वो वृन्दावन के कुंजन में।
नही बरनत बने शोभा, हमारे श्याम श्यामा की॥
नही कुछ लालसा धन की, नही निर्वाण की इच्छा।
सखी श्यामा मिले सेवा, हमारे श्याम श्यामा की॥

Friday, September 20, 2013

श्रीमदनमोहनाष्टकं ......
जय शङ्खगदाधर नीलकलेवर पीतपटाम्बर देहि पदम् |
जय चन्दनचर्चित कुण्डलमण्डित कौस्तुभशोभित देहि पदम् || १ ||
जय पङ्कजलोचन मारविमोहन पापविखण्डन देहि पदम् |
जय वेणुनिनादक रासविहारक वङ्किम सुन्दर देहि पदम् || २ ||
जय धीरधुरन्धर अद्भुतसुन्दर दैवतसेवित देहि पदम् |
जय विश्वविमोहन मानसमोहन संस्थितिकारण देहि पदम् || ३ ||
जय भक्तजनाश्रय नित्यसुखालय अन्तिमबान्धव देहि पदम् |
जय दुर्जनशासन केलिपरायण कालियमर्दन देहि पदम् || ४ ||
जय नित्यनिरामय दीनदयामय चिन्मय माधव देहि पदम् |
जय पामरपावन धर्मपरायण दानवसूदन देहि पदम् || ५ ||
जय वेदविदांवर गोपवधूप्रिय वृन्दावनधन देहि पदम् |
जय सत्यसनातन दुर्गतिभञ्जन सज्जनरञ्जन देहि पदम् || ६ ||
जय सेवकवत्सल करुणासागर वाञ्छितपूरक देहि पदम् |
जय पूतधरातल देवपरात्पर सत्त्वगुणाकर देहि पदम् || ७ ||
जय गोकुलभूषण कंसनिषूदन सात्वतजीवन देहि पदम् |
जय योगपरायण संसृतिवारण ब्रह्मनिरञ्जन देहि पदम् || ८ ||
||  इति श्रीमदनमोहनाष्टकं सम्पूर्णम्  ||

Thursday, September 19, 2013

को भव सागर पार उतारे राम बिन कौन सम्हारे

को भव सागर पार उतारे राम  बिन कौन सम्हारे, ।

टूटी फूटी नाव हमारी पहुँच न पाई तट पर,
जैसे कोई प्यासा राही, भटक गया पनघट पर,
पास मेरे तुम मुस्काते हो  दोनो बाँह पसारे,
 को भव सागर पार उतारे राम बिन कौन सम्हारे |

मेरे राम मुझे शक्ति दे, मन में मेरे दृढ़ भक्ति दे,
राम काम मैं करूँ निरंतर, राम नाम चित्त धारे,
को भव सागर पार उतारे राम बिन कौन सम्हारे |

जीवन पथ की उलझन लख कर, खड़े न हो जाना तुम थक कर,
तेरा साथी, राम निरंजन, चलता साथ तुम्हारे,
को भव सागर पार उतारे राम बिन कौन सम्हारे |

Sunday, September 15, 2013

भगवान तुम्हारे मन्दिर में मै भजन सुनाने आया हूँ

भगवान  तुम्हारे मन्दिर में मै भजन सुनाने आया हूँ ।
प्रभु राम तुम्हारे  चरणों का  मै दर्शन करने आया हूँ ॥

भक्ति प्रभु की मैं करता हूँ , मै गीत प्रभु के गाता हूँ ।
बेडा पार प्रभु से होता है, मै प्रभु के गुण ही गाता हूँ ॥
राम नाम की महिमा का मै, सत्संग  सुनाने आया हूँ ॥1॥
भगवान  तुम्हारे मन्दिर में मै भजन सुनाने आया हूँ ।
प्रभु राम तुम्हारे  चरणों का  मै दर्शन करने आया हूँ ॥

चाहे राम, कहो चाहे श्याम कहो, प्रभुजी के सब अवतारी है ।
विनती सुन लो प्रभु तुम मेरी, अब आई मेरी बारी है ॥
फल फूल  की थाल सजा करके  मै पूजन करने आया हूँ ॥2॥
भगवान  तुम्हारे मन्दिर में मै भजन सुनाने आया हूँ ।
प्रभु राम तुम्हारे  चरणों का  मै दर्शन करने आया हूँ ॥

विश्वास प्रभु का रखता हूं, मै रोज तुम्हे ही  भजता हूँ।
लीन होकर शाम सवेरे को  मै ध्यान प्रभु का करता हूँ ॥
है घोर  अंधेरा  दुनिया में, मै दीप जलाने आया हूँ ॥3॥
भगवान  तुम्हारे मन्दिर में मै भजन सुनाने आया हूँ ।
प्रभु राम तुम्हारे  चरणों का  मै दर्शन करने आया हूँ ॥

Saturday, September 14, 2013

गोपिका विरह गीतं
एहि मुरारे कुंजविहारे एहि प्रणतजनबंधो
हे माधव मधुमथन वरेण्य केशव करुणा सिंधो ||
रासनिकुंजे गुंजति नियतं भ्रमरशतं किल कान्त
एहि निभृत पथपांथ ||
त्वामिह याचे दर्शन दानं हे मधुसूदन शांत ||
शून्यम कुसुमासनमिह कुंजे शून्यःकेलिकदंब:
दीनः  केकिक दंब :|
मृदुकलनादः किल सविशादं रोदिति यमुनास्वम्भः||
नवनीरजधरश्यामलसुन्दर चन्द्रकुसुमरुचिवेश
गोपीगणहृदयेश  |
गोवर्धनधर वृन्दावनचर वंशीधर परमेश |
राधारंजन कंसनिषूदन प्रणतिस्तावकचरणे
निखिल निराश्रयशरणे |
एहि जनार्दन पीताम्बरधर कुंजे मंथरपवने ||     

Tuesday, September 10, 2013

आदिशक्ति स्तुति



हम तेरे ही गुण गातें हैं, चरणों मैं सीस झुकाते हैं |
तेरी जयकार मनाते हैं, जय जय  अम्बे जय जगदम्बें |

जय  दुर्गा आदि भवानी की, जय जय शक्ति महरानी की |
जय  अभयदान वरदानी की , जय अष्टभुजी कल्याणी की | 

     तुम महा तेज हो शक्तिशाली |
     तुम ही हो अदभुत बलवाली |
     तू  रण चण्डी तू महाकाली |
      तुम हम सबकी  हो रखवाली
हम तेरे ही गुण गातें हैं, चरणों मैं सीस झुकाते हैं |1


     तुम दुर्गा बन कर तारती हों |
     चण्डी बन दुष्ट संहारती हों |
     कलि रण में तुम ललकारती हो |
      सबकी तुम बिगड़ी संवारती हो |
हम तेरे ही गुण गातें हैं, चरणों मैं सीस झुकाते हैं |2

     हर दिल में वास तुम्हारा है|
     तेरा ही जग को सहारा  है |
     तुमने ही अपनी शक्ति से |
      बलशाली  दैत्य को मारा है |
हम तेरे ही गुण गातें हैं, चरणों मैं सीस झुकाते हैं |3

     ब्रह्मा विष्णु महादेव बड़े |
     तेरे दर पर कर जोड़ खड़े |
     वर पाने को चरणों में पड़े |
     शक्ति पा जा दैत्यों से लड़े  |
हम तेरे ही गुण गातें हैं, चरणों मैं सीस झुकाते हैं |4

     हर विधा का है ज्ञान तुझे|
     अपनी शक्ति पर मान तुझे |
     हर इक की है पहचान तुझे|
     हर दास का माता ध्यान तुझे |
हम तेरे ही गुण गातें हैं, चरणों मैं सीस झुकाते हैं |5

     ब्रह्मा जब दर पर आते हैं |
     वेदों का पाठ सुनाते हैं |
    विष्णु जी चंवर झुलाते है |
     शिव शम्भु नाद बजाते है|
हम तेरे ही गुण गातें हैं, चरणों मैं सीस झुकाते हैं |6


       तू भद्रकाली है कहलाई |
       तू पारवती बन कर आई |
       दुनिया का पालन करने को |
        तू आदि शक्ति है महामाई |
हम तेरे ही गुण गातें हैं, चरणों मैं सीस झुकाते हैं |7

       भूखों को अन्न खिलाये तू |
       भक्तों के कष्ट मिटाये तू |
       तू दयावान दाती है तू |
        हर मन की आस पुजाये तू |
हम तेरे ही गुण गातें हैं, चरणों मैं सीस झुकाते हैं |8


       निर्धन के तुम भण्डार भरे |
       तुम पतितों का उद्धार करे |
       तुम अपनी भक्ति दे करके |
        भव सागर से भी पार  करे |
हम तेरे ही गुण गातें हैं, चरणों मैं सीस झुकाते हैं |9

       है त्रिलोकी में माँ वास तेरा |
       हर जीव है मैय्या दास तेरा |
      गुण गाता जमीं आकाश तेरा |
       हमको भी है विश्वास तेरा |
हम तेरे ही गुण गातें हैं, चरणों मैं सीस झुकाते हैं |10

       दुनियां के कष्ट मिटा माता |
       हर एक की प्यास बुझा माता |
       हम और नहीं कुछ चाहते हैं |
        बस अपना दास बना माता |
हम तेरे ही गुण गातें हैं, चरणों मैं सीस झुकाते हैं |11

      तू दया करे तो मान भी हो |
     दुनिया की कुछ पहचान भी हो |
     भक्ति  से  पैदा  ज्ञान भी  हो |
      तू कृपा करे कल्याण भी हो |
हम तेरे ही गुण गातें हैं, चरणों मैं सीस झुकाते हैं |12