सभी ब्राह्मण भाई बहनों से है मेरी विनती |
करते हो अभिमान अगर , तो गति रावण सी होती ||
रावण बड़ा ब्राह्मण था पर था ज्यादा अभिमानी |
पर मेरे प्रिय राम लखन ने कर दी खत्म कहानी ||
धन दौलत संपत्ति बहुत थी , था ज्योतिष का ज्ञानी |
खुद की पत्री ना पढ़ पाया ,हारा वो अभिमानी ||
राम लखन हनुमत तीनों ने उसका क्या कर डाला हाल |
ख़त्म हुआ था पूरा कुनबा जो था इतना बड़ा विशाल ||
चिरंजीव हैं हनुमत मेरे , उनको ना कोई अभिमान |
शक्ति पुंज हैं ज्योतिष ज्ञानी पर ना करते कभी बखान ||
Friday, June 11, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment