Monday, June 8, 2020

जय श्री #राम 💐💐
आज मैं रामचरित #मानस में पाठ के  समय #नवधा भक्ति के विषय मे पढ़ा ---पहले भी कई बार पढ़ चुकी हूं
पर आज कुछ ज्यादा ध्यान से पढ़ा --क्योंकि इस फेसबुक  के मंच पर  निर्मल भाव का अभाव दिख रहा --चहुं ओर परनिंदा की बरसात हो रही --जो अशोभनीय है -संतो की गरिमा भंग करती है --
नवधा भक्ति की पहली चौपाई में--संतो का संग बताया
कैसे करे संग--जब सन्त ही आपस मे आलोचना के समुद्र में डूबते ही जा रहे ---कैसे करे संतो का संग --नही कर सकते किसी संत का संग --
राम रक्षा करे --हम सबकी --ऐसे वातावरण से 😊
नवधा भगति कहउँ तोहि पाहीं।
सावधान सुनु धरु मन माहीं॥
प्रथम भगति संतन्ह कर संगा।
दूसरि रति मम कथा प्रसंगा॥

मैं तुझसे अब अपनी नवधा भक्ति कहता हूँ। तू सावधान होकर सुन और मन में धारण कर। पहली भक्ति है संतों का सत्संग। दूसरी भक्ति है मेरे कथा प्रसंग में प्रेम॥
राम चरित मानस के निरन्तर पाठ करती हुई
आज अचानक इस चौपाई में  मैं ठिठक गई --
अधम ते अधम अधम अति नारी। तिन्ह महँ मैं मतिमंद अघारी॥
कह रघुपति सुनु भामिनि बाता। मानउँ एक भगति कर नाता॥

भावार्थ

जो अधम से भी अधम हैं, स्त्रियाँ उनमें भी अत्यंत अधम हैं, और उनमें भी हे पापनाशन! मैं मंदबुद्धि हूँ। श्री रघुनाथजी ने कहा- हे भामिनि! मेरी बात सुन! मैं तो केवल एक भक्ति ही का संबंध मानता हूँ॥

#जाति पाँति कुल #धर्म बड़ाई। धन बल परिजन गुन चतुराई॥
#भगति हीन नर सोहइ कैसा। बिनु जल बारिद देखिअ जैसा॥

भावार्थ

जाति, पाँति, कुल, धर्म, बड़ाई, धन, बल, कुटुम्ब, गुण और चतुरता- इन सबके होने पर भी भक्ति से रहित मनुष्य कैसा लगता है, जैसे जलहीन बादल (शोभाहीन) दिखाई पड़ता है॥
फेसबुक में निरन्तर धर्म पर विवाद करने वालों से विनम्र निवेदन है --कि जब   -जब श्री राम जात पात ,धर्म को नही मान रहे है सिर्फभक्ति को महत्व दे रहे ---तो विवाद क्यो ----
#राम -जय श्री राम 💐💐