Friday, December 20, 2013

तेरहवाँ ज्योतिर्लिंग – मुक्ति गुप्तेश्वर मंदिर



तेरहवाँ ज्योतिर्लिंग – मुक्ति गुप्तेश्वर मंदिर
            
12 ज्योतिर्लिंगों से तो आप सभी परिचित हैं पर मुक्ति गुप्तेश्वर मंदिर ,आस्ट्रेलिया में पाया जाने शिव लिंग तेरहवाँ ज्योतिर्लिंग है , यह बात कम ही जानी जाती है .
यह ज्योतिर्लिंग नेपाल से लाकर आस्ट्रेलिया के मुक्ति गुप्तेश्वर मंदिर में स्थापित किया गया है . इस लिंग का वर्णन महाभारत मे दिया गया है . युद्ध में पराजित होने के बाद जब पांडव वन वास में थे ,तब वे नेपाल के एक आश्रम में रह रहे थे . एक दिन अर्जुन जब शिकार पर गए तो उनका सामना एक जंगली शूकर से हुआ .अर्जुन ने तीर चलाया और वो उस शूकर  के लगा . तभी एक अन्य शिकारी भी वहाँ आ गया और उस शूकर  को अपना शिकार बताने लगा .इस पर अर्जुन व उस शिकारी में विवाद हो गया और दोनों लड़ने लगे . यह लड़ाई 21 दिनों तक चली. अर्जुन अपने को कमजोर होता देख कर एक मिट्टी का शिव लिंग बना कर उसका पूजन करने लगे . उसी समय वो दूसरा शिकारी अपने असली रूप मे भगवान शंकर बन कर अर्जुन के सामने आ गए और कहा कि वो तो अर्जुन की शक्ति की परीक्षा ले रहे थे . अर्जुन से उन्होंने वर माँगने को कहा तो अर्जुन ने उनसे लिंग रूप में उस आश्रम में रहने का वर माँगा .
बाद में 1999 में उस लिंग को नेपाल के महाराजाधिराज बीर बिक्रम शाह देव ने आस्ट्रेलिया भेज दिया .इस लिंग को आस्ट्रेलिया में 14 फरवरी 1999 शिवरात्री  को मुक्ति गुप्तेश्वर मंदिर में स्थापित किया गया . धर्म शास्त्रों में आस्ट्रेलिया को शिव जी के गले में नाग का मुख माना जाता है .सोमनाथ मंदिर जिसे पहला ज्योतिर्लिंग माना गया है , वहाँ  एक तीर का निशान है जो दक्षिण की ओर इंगित करता है .कहते है कि सोमनाथ मंदिर का यह तीर सीधे इस आस्ट्रेलिया के मंदिर की तरफ इंगित करता है जहाँ अंतिम तेरहवाँ ज्योतिर्लिंग स्थापित है .
मुक्ति गुप्तेश्वर मंदिर में शिवलिंग एक गुफा के अंदर स्थापित किया गया है . साथ में 12 ज्योतिर्लिंगों के रूप भी स्थापित हैं . इसके साथ 108 अन्य मानव निर्मित शिवलिंग व 1008 अन्य शिव प्रतिमाएं भी इस मंदिर में स्थापित हैं . इस तरह से मुख्य ज्योतिर्लिंग के साथ  1128 अन्य छोटे मंदिर भी यहाँ पर हैं .मंदिर के मुख्य गर्भ गृह में 10 मीटर गहरे एक पात्र में 2 करोड़ ‘ओम नमः शिवाय’ लिखे हुए पत्र रखे गए हैं . साथ में विश्व की 81 प्रमुख नदियों का जल, 5 समुद्रों का जल व अष्ट धातुओं को भी रखा गया है .  

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