Sunday, April 25, 2010

जय श्री राम
इंसान के जीवन में सुख दुःख दोनों ही आते है । सुख में तो हम मस्ती में अपना जीवन बिता लेते है , पर दुःख में हम बहुत जल्दी विचलित होने लगते है । ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ ,सुख में तो पता नहीं कैसे दिन बीत गए पर विपदा में श्री राम जी हनुमान जी के साथ पग पग पर आत्म शक्ति देते रहे । मैं तो यही प्रार्थना करती रही ----
मामभिरक्षय रघुकुल नायक ,धृत बरु चाप रुचिर कर सायक । ।
यह चौपाई बहुत ही सहायक सिद्ध होती रही है ।
मैं शबरी और मीरा की तरह भक्ति तो नहीं कर सकती ,हाँ यह प्रार्थना जरूर करती हूँ ----
मैं नारि अपावन प्रभु जग पावन रावन रिपु जन सुख दाई
राजीव विलोचन भव मय मोचन पाहि पाहि सरनहिं आई
विनती प्रभु मोरी मैं मति भोरी नाथ न मांगू बर आना
पद कमल परागा रस अनुरागा मम मन मधुप करै पाना
श्री राम जय राम जय जय राम

1 comment:

  1. सुख और दुःख क्या है? एक ही सिक्के के दो रूप है.

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