Saturday, October 9, 2010

अष्टलक्ष्मी स्तोत्र


अष्टलक्ष्मी स्तोत्र

आदिलक्ष्मी

सुमनसवन्दित सुन्दरि माधवि चन्द्र सहोदरि हेममये l

मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायिनि मञ्जुळभाषिणि वेदनुते ll

पङ्कज वासिनि देवसुपूजित सद्गुणवर्षिणि शान्तियुते l

जयजय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि सदा पालय माम् ll

धान्यलक्ष्मी

अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि वैदिकरूपिणि वेदमये l

क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ll

मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते l

जयजय हे मधुसूदन कामिनि धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ll

धैर्यलक्ष्मी

जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये l

सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते ll

भवभयहारिणि पापविमोचनि साधुजनाश्रित पादयुते l

जयजय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ll

गजलक्ष्मी

जयजय दुर्गतिनाशिनि कामिनि सर्वफलप्रद शास्त्रमये l

रथगज तुरगपदादि समावृत परिजनमण्डित लोकनुते ll

हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित तापनिवारिणि पादयुते l

जयजय हे मधुसूदन कामिनि गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ll

सन्तानलक्ष्मी

अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि रागविवर्धिनि ज्ञानमये l

गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि स्वरसप्त भूषित गाननुते ll

सकल सुरासुर देवमुनीश्वर मानववन्दित पादयुते l

जयजय हे मधुसूदन कामिनि सन्तानलक्ष्मि त्वं पालय माम् ll

विजयलक्ष्मी

जय कमलासनि सद्गतिदायिनि ज्ञानविकासिनि गानमये l

अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर भूषित वासित वाद्यनुते ll

कनकधरास्तुति वैभव वन्दित शङ्कर देशिक मान्य पदे l

जयजय हे मधुसूदन कामिनि विजयलक्ष्मि सदा पालय माम् ll

विद्यालक्ष्मी

प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि शोकविनाशिनि रत्नमये l

मणिमयभूषित कर्णविभूषण शान्तिसमावृत हास्यमुखे ll

नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि कामित फलप्रद हस्तयुते l

जयजय हे मधुसूदन कामिनि विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम् ll

धनलक्ष्मी

धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि धिंधिमि दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये l

घुमघुम घुंघुम घुंघुम घुंघुम शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते ll

वेदपुराणेतिहास सुपूजित वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते l

जयजय हे मधुसूदन कामिनि धनलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ll



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