हनुमान प्रार्थना
जय रघुकुल-मणि के प्रिय सेवक,
जय गौरीपति के अवतार I
जय लक्ष्मण के परिरक्षक,
जय सीताजी के खोजनहार II
जय निशिचर-गण के विध्वंशक,
भक्त-जनों के परित्राता I
कायरता कलि कलेश निवारक,
महा-बुद्धि, बल के दाता II
भाग्य - विधाता हो दुखियो के,
करुणा के तुम हो आगार I
जय लक्ष्मण के परिरक्षक,
जय सीताजी के खोजनहार II
देव ! तेरी पावन पूजा से,
भक्त - जनों की व्यथा टली I
जय हम दुखियों के इष्ट देव,
जय महावीर बजरंज बली II
मन की कली खिला दो, प्रभु जी !
जन - जन का हो बेड़ा पार I
जय लक्ष्मण के परिरक्षक,
जय सीताजी के खोजनहार II
ऐसी कृपा करो, प्रभु ! मुझ पर,
निशि - वासर मै तुमको ध्याऊँ I
प्रभु चरणों का लिये आसरा,
सकल कामना बिसराऊ II
भक्त गण गाएं युगों - युगों तक,
तेरी महिमा अपरम्पार I
जय लक्ष्मण के परिरक्षक,
जय सीताजी के खोजनहार II
Friday, April 6, 2012
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