Thursday, November 26, 2015

पूजा में नारियल

भारत में देवी-देवताओं की मूर्ति के सामने नारियल फोड़ने का रिवाज काफी पुराना है। हिंदू धर्म के ज्यादातर धार्मिक संस्कारों में नारियल का विशेष महत्व है।चाहे शादी हो, त्यौहार हो या फिर कोई अन्य महत्वपूर्ण पूजा, पूजा की सामग्री में नारियल आवश्यक रूप से रहता है। नारियल फोड़ने का मतलब है कि आप अपने अहंकार और स्वयं को भगवान के सामने समर्पित कर रहे हैं। माना जाता है कि ऐसा करने पर अज्ञानता और अहंकार का कठोर कवच टूट जाता है और ये आत्मा की शुद्धता और ज्ञान का द्वार खोलता है। जिसे नारियल के सफेद हिस्से के रूप में देखा जाता है।
एक समय हिंदू धर्म में मनुष्य और जानवरों की बलि सामान्य बात थी। तभी आदि शंकराचार्य ने इस अमानवीय परंपरा को तोड़ा और मनुष्य के स्थान पर नारियल चढ़ाने की शुरुआत की।
नारियल कई तरह से मनुष्य की खोपड़ी से मेल खाता है। नारियल की जटा की तुलना मनुष्य के बालों से, कठोर कवच की तुलना मनुष्य की खोपड़ी से और नारियल पानी की तुलना खून से की जा सकती है। साथ ही नारियल के गूदे की तुलना मनुष्य के दिमाग से की जा सकती है। नारियल में दो छेद होते हैं, जिन्हें हम आंख मानते हैं तथा उससे जो रोयें निकलते हैं उसे केश माना जाता है।

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