श्रीमद् गीर्वाण-चक्र-स्फुट-मुकुट-तटी-द
ज्योतिर्ज्वाला-कराला-स्फुरित-म
व्याघोरोल्का-सहस्त्र-ज्वलदलन-श
आँ क्रोँ ह्रीँ-मन्त्ररुपे ! क्षपित कलिमले ! रक्ष माँ देवि पद्मे ।।१।।
भित्त्वा पाताल मूलं चल-चल-चलिते ! व्याल-लीला-कराले !
विद्युद् दंड-प्रचण्ड-प्रहरण-सहिते ! सद् भूजैस्तर्जयन्ति !
दैत्येन्द्र-क्रूर-दंष्ट्रा-कट-
माया-जीमूत-माला-कुहरित-गगने ! रक्ष माँ देवि ! पद्मे ।।२।।
कूजत्कोदण्ड-काण्डोड्डमर-विघुरि
दिव्यं वज्रातपत्रं-प्रगुण-मणि-रणत्-कि
भाष्यैद्वैडूर्य-दण्डंमदन-विजयि
सा देवी पद्महस्ता विघटयतु महाडामरं मामकीनम् ।।३।।
भृन्गी-काली-कराली-परिजन सहिते ! चण्डि ! चामुण्डि ! नित्ये !
क्षाँ क्षीँ क्षूँ क्षः क्षणार्द्धक्षत-रिपु-निवहे ! ह्रीँ महामन्त्र रुपे !
भ्राँ भ्रीँ भ्रूँ भ्रः प्रसंग-भ्रूकुटि-पुट-तट-त्रासित
क्ष्वाँ क्ष्वीँ क्ष्वूँ क्ष्वः प्रचण्डे ! स्तुतिशतमुखरे ! रक्ष माँ देवि ! पद्मे ! ।।४।।
चंचत् कांची-कलापे ! स्तन-तट-विलुठत्तार-हारावलीके !
प्रोत्फुल्लत्पारिजात-द्रुम-कुस
द्राँ द्रीं क्लीं ब्लूँ समेतैर्भूवन-वशकरी क्षोभिणी द्राविणी त्वं,
आं इं उं पद्महस्ते ! कुरु कुरु घटने ! रक्ष माँ देवि ! पद्मे ! ।।५।।
लीलाव्यालोल-निलोत्पल-दल-नयने ! प्रज्वलद्वाडवाग्नि-
प्रोद्यद्ज्वाला-स्फुलिंग-स्फुर
ह्राँ ह्रीँ ह्रूँ ह्रः हरन्ति हर-हर-हर हुंकार-भीमैकनादे !
पद्मे ! पद्मासनस्थे ! व्यपनय दुरितं देवि ! देवेन्द्रवन्द्ये ! ।।६।।
कोपँ वँ झं स हंस कुवलय-कलिताद्दाम-लीला-प्रबन्धे
ज्राँ ज्रीँ ज्रूँ ज्रःपवित्रे शशिकर-धवले ! प्रक्षरत्क्षीर गौरे !
व्याल-व्याबद्ध-जुटे प्रबल-बल-महाकालकूटं हरन्ति,
हा हा हुंकारनादे ! कृत-कर-कमले ! रक्ष माँ देवी पद्मे ।।७।।
प्रातर्बालार्क-रश्मिच्छुरित-धन
सन्ध्या-रागारुणांगि ! त्रिदश-वरवधू-वन्द्य-पादारविन्द
चंचत्चण्डासि-धारा प्रहत-रिपुकुले ! कुण्डलोद् धृष्ट-गल्ले !
श्राँ श्रीँ श्रूँ श्रः स्मरन्ती मदगज-गमने ! रक्ष माँ देवि ! पद्मे ! ।।८।।
No comments:
Post a Comment