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शुभ कार्यों को कल पर मत टालो!!!
राजा दशरथ जी ने जब एक बार शीशा देखा तो उन्हें कान के पास के बाल सफ़ेद दिखे,
सोचने लगे अब सत्ता राम को सौप कर अपने जनम का लाभ क्यों न उठाया जाए.
ऐसा ह्रदय में विचार कर राजा दशरथ गुरु वशिष्ठ जी के पास गए.
राजा ने कहा - हे मुनिराज !
मेरा निवेदन सुनिये!
श्री रामचन्द्र सब प्रकार से योग्य हो गए है.
उन्हें युवराज कीजिये.
मुनि बोले - हे राजन !
अब देर न कीजिये, शीघ्र सब समान सजाये,
शुभ दिन और सुन्दर मंगल तभी है जब श्रीरामचन्द्र जी युवराज हो जाए उनके अभिषेक के लिए सभी दिन शुभ और मंगलमय है.
मानो मुनि कहना चाह रहे हो, कि वे तो जगदीश्वर है उन्हें किसी मुहूर्त कि आवश्यकता नहीं है आप तो अभी इसी समय ही कर दीजिये.
दशरथ जी ने कहा - गुरुदेव !
कल कर लेते है.
मुनि हँसने लगे. क्यों हँसे? क्योकि गुरुदेव जानते है कल कभी नहीं आता.
राजन चले गए,
कहने का तात्पर्य शुभ कार्य को कल पर नहीं टालना चाहिये क्योकि कल कभी नहीं आता.
क्योकि कल क्या हो जाए,
कोई नहीं कह सकता हमे पुण्य करना है तो हम उसे कल पर न टाले,
मन चंचल है इसका कोई भरोसा नहीं है,
कब बदल जाए इसलिए आज मन कर रहा है दान कर दू,पुण्य कर दूँ ,किसी कि मदद का दूँ तो तुरंत का देना
चाहिये,
कल पर टाला तो मन कल तक बदल जायेगा फिर शायद हम कुछ न करे.
एक रात में ही सब बदल गया राज्य अभिषेक होना था वनवास हो गया.
इसी तरह बुरा काम मन में उठे तो उसे कल पर टाल देना चाहिये,
क्योकि बुरे काम को कल पर टालने से शायद कल तक वह बुरा संकल्प ही न रहे,
वह अच्छे में बदल जाए...
बिलकुल ठीक कहा आपने मंजू जी
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