Tuesday, June 25, 2013

स्तुति श्री बद्रीनाथ जी की

पवन मन्द सुगंधशीतल हेम मंदिर शोभितम
निकट गंगा बहत निर्मल श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम
शेष सुमिरन करत निशिदिन धरतध्यान महेश्वरम
श्री वेद ब्रह्मा करद स्तुति श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम
शक्ति गौरी गणेश शारद नारद मुनि उच्चारणम
योग ध्यान अपार लीला श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम
इन्द्र, चन्द्र कुबेर, धुनिकर, धूपदीप प्रकाशितम
सिद्ध मुनिजन करत जै-जै श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम
यक्ष किन्नर करत कौतुक ज्ञान गन्धर्व प्रकाशितम
कैलाश में एक देव निरंजन शैल शिखर महेश्वरम
राजा युधिष्ठर करत स्तुति श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम
श्री बद्रीजी के पंचरत्न पढ़त पाप विनाशनम
कौटि तीर्थ भवेत पुण्य प्राप्येत फलदायकम।

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