Thursday, August 1, 2013

लिंगाष्टकम ...
ब्रह्ममुरारी सुरार्चित लिंङगं |
निर्मल भासित शोभित लिंङगं ||
जन्मज दुःख विनाशक लिंङगं |
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंङगं || १ ||

देवमुनि प्रवारार्चित लिंङगं |
कामदहन करुणाकर लिंङगं ||
रावण दर्प विनाशक लिंङगं |
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंङगं || २ ||

सर्व सुगंध सुलेपित लिंङगं |
बुद्धी विवर्धन कारण लिंङगं ||
सिद्ध सुरासुर वंदित लिंङगं |
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंङगं || ३ ||

कनक महामणि भूषित लिंङगं |
फणिपती वेष्टित शोभित लिंङगं ||
दक्ष सुयज्ञ निनाषन लिंङगं |
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंङगं || ४ ||

कुंकुम चंदन लेपित लिंङगं |
पंकज हार सुशोभित लिंङगं ||
संचित पाप विनाशक लिंङगं |
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंङगं || ५ ||

देवागणार्चित सेवित लिंङगं |
भावै-र्भक्तिभिरेव च लिंङगं ||
दिनकर कोटी प्रभाकर लिंङगं |
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंङगं || ६ ||

अष्टोदलोपरीवेष्टित लिंङगं |
सर्वसमुद्भव कारण लिंङगं ||
अष्टदरिद्र विनाषन लिंङगं |
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंङगं || ७ ||

सुरगुरु सुरवर पूजित लिंङगं |
सुरवन पुष्प सदार्चित लिंङगं ||
परात्पर परामात्मक लिंङगं |
तत् प्रणमामि सदाशिव लिंङगं || ८ ||

लिंङगाष्टकमिदं पुण्यं य: पठेश्शिव संनिधौ |
शिवलोकमवाप्नोती शिवेन सह मोदिते ||

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