Sunday, May 2, 2010

सुनो रे बजरंगी हमरी गुहार

जय श्री राम
राम दूत अंजनी पुत्र , कुछ कहें केसरीनंदन ,
पर मैंने तो अग्रज माना,करूँ तेरा अभिनन्दन .
रामानुज की जान बचाने लाये तुरत संजीवन,
इस छोटे का कष्ट मिटाने में देरी क्यों भगवन .
सीताराम हृदय बैठारे अंजनी के हो दुलारे,
दे आशीष हमें अपना, हर लो अब संकट सारे.
अष्ट सिद्धि ना नव निधि माँगू, ओ जग के रखवाले,
चरणों की ऱज मिले मुझे तो सारा धन दे डाले.

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