Thursday, February 3, 2011

सर्व-संकटहारी-प्रयोग

सर्व-संकटहारी-प्रयोग

सर्व-संकटहारी-प्रयोग

"सर्वा बाधासु, वेदनाभ्यर्दितोऽपि।
स्मरन् ममैच्चरितं, नरो मुच्यते संकटात्।।
ॐ नमः शिवाय।"

उपर्युक्त मन्त्र से 'सप्त-श्लोकी दुर्गा का एकादश अर्थात् ११ बार सम्पुट-पाठ करने से सब प्रकार के संकटों से छुटकारा मिलता है। प्रत्येक 'पाठ' करने के बाद उक्त 'सम्पुट-मन्त्र' के अन्त में "स्वाहा" जोड़कर एकादश बार निम्न-लिखित वस्तुओं से हवन करेः-
१॰ अर्जुन की छाल का चूर्ण, २॰ शुद्ध शहद, ३॰ मिश्री ४॰ गाय का घी और ५॰ खीर- यह सब मिलाकर रख लें और उसी से हवन करें।
खीर बनाने के लिए सायंकाल 'चावल' को जल में भिगो दें। प्रातः जल गिराकर भीगे हुए चावलों को गाय के शुद्ध घी से भून लें। चावल हल्का लाल भूनने के बाद उसमें आवश्यकतानुसार चीनी, पञ्चमेवा, गाय का दूध डालकर पकावें। जब गाय का दूध पककर सूख जावे, तब 'खीर' को उतार लें और ठण्डी कर उपर्युक्त ४ वस्तुओं के साथ मिला कर रखें।

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