Sunday, June 10, 2012
भगवान तुम्हारे चरणों में
भगवान तुम्हारे चरणों में, मै तुम्हे रिझाने आया हूँ |
वाणी में तनिक मिठास नहीं, पर विनय सुनाने आया हूँ |
प्रभु का चरणामृत लेने को, है पास मेरे कोई पात्र नहीं |
आँखों के दोनों प्यालों में, कुछ भीख माँगने आया हूँ ||
तुमसे लेकर क्या भेंट करूं, भगवान तुम्हारे चरणों में |
मैं भिक्षुक हूँ तुम दाता हो ,सम्बन्ध बताने आया हूँ ||
सेवा की कोई वास्तु नहीं, फिर भी मेरा साहस देखो |
मैं लेकर आज आंसुओं का, एक हार चढ़ाने आया हूँ ||
भगवान तुम्हारे चरणों में, मै तुम्हे रिझाने आया हूँ |
भगवान तुम्हारे चरणों में, मै तुम्हे रिझाने आया हूँ ||
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