Monday, June 11, 2012

खबर कर दो रघु नंदन को

खबर कर दो रघु नंदन को , खड़े हम दर पर दर्शन को | लख चौरासी स्वांग धर ,नाना कष्ट उठाय | जन्म मरण से होय दुखी मैं पड़ा शरण में आय || झुकाए हुए हैं गर्दन को , खबर कर दो रघु नंदन को | खबर कर दो रघु नंदन को , खड़े हम दर पर दर्शन को | यद्यपि तुमने ही दिया ,रूप शील गुण खान | किन्तु हरी के भजन बिन सब ही है बेकार || करें क्या लेकर इस धन को,खबर कर दो रघु नंदन को | खबर कर दो रघु नंदन को , खड़े हम दर पर दर्शन को | खेल तमाशों में मेरा मन दौड़ –दौड़ के जाय | भजन भयंकर सा लगे और बुद्धि भ्रष्ट हो जाय || कहाँ तक रोयें कर्मों को ,खबर कर दो रघु नंदन को | खबर कर दो रघु नंदन को , खड़े हम दर पर दर्शन को | नौका पापों से भरी ,डूब रही मझधार | कछु डूबी कछु डूबन वाली ,एक तुम्ही आधार || उबारो हम जैसा पापी , खबर कर दो रघु नंदन को | खबर कर दो रघु नंदन को , खड़े हम दर पर दर्शन को |

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