Friday, October 12, 2012

जय जय महावीर हनुमान

जय जय महावीर हनुमान |
असुर निकंदन, भव भय भंजन,रघुनन्दन प्रिय प्राण ||

अंजनि पुत्र केसरी नंदन, पवन पुत्र गुण वान,
अष्टम रूद्र महा बलशाली बजरंगी बलवान ||

बालक पन में सूरज निगला कौतुक करा महान,
वज्र इन्द्र का निष्फल कीन्हा, नाम पड़ा हनुमान ||

माँ सीता का हरण हुआ फिर मिले राम भगवान्,
निर्वासित सुग्रीव मिला कर हुई मित्र पहचान ||

सौ योजन का सागर लांघा ऐसी भरी कुदान,
लंका फूँक दशानन का सब तोड़ दिया अभिमान ||

राम मुद्रिका दे सीता को फूँक दिए नव प्राण,
दिया मुग्ध हो कर माता ने अष्ट सिद्धि वरदान ||

एक निष्ठ सेवक रघुवर के राम कथा में बसते प्राण,
जगत रांम मय कण कण में प्रभु, जयति जयति जय जय हनुमान ||

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