प्रार्थना
बजरंग तुम्हारे दर पर हम सब सम्पति हार के आये हैं |
संतो ने कहा तेरे द्वारे पर सब राम रतन धन पाए हैं ||
हम भी आये ये आस बाँध, खाली झोली भर जायेगी |
अब तक तो सुख के लालच में बस पाप ही पाप कमाए हैं ||
है रोम रोम में राम तेरे तू राम भक्ति का वृक्ष घना |
जब जब धर्मों का पतन हुआ ,रक्षक उद्धारक तू ही बना ||
कभी वाल्मीकि कभी तुलसी से श्री राम चरित रचवायें हैं |
भक्तों को उनके भगवन के दर्शन
अद्भुत करवाएं हैं ||
बजरंग तुम्हारे दर पर हम सब सम्पति हार के आये हैं |
संतो ने कहा तेरे द्वारे पर सब राम रतन धन पाए हैं ||
कुछ कहते पाप ही फलता है, पर तू राम भक्त मुझे फलता है |
बजरंग तुम्हारे भरोसे ही मेरा बिगड़ा
काम संवरता है ||
है अहोभाग्य हम लोगों का ,हनुमान धरा पर आये हैं |
जिनके प्रयास से पुण्य जमीं पर अभी न मिटने पाए हैं ||
बजरंग तुम्हारे दर पर हम सब सम्पति हार के आये हैं |
संतो ने कहा तेरे द्वारे पर सब राम रतन धन पाए हैं ||
था गर्व भरा मस्तक मेरा, जिसको अपनों ने काट दिया |
अपने तो अपने कभी न थे, यह सबक भाग्य ने मुझे दिया ||
हनुमान तुम्हारी आशा है, जग ने मुझको ठुकराया है |
सब अज्ञानी इंसान, व्यर्थ दुनिया मे रोता आया है ||
बजरंग तुम्हारे दर पर हम सब सम्पति हार के आये हैं |
संतो ने कहा तेरे द्वारे पर सब राम रतन धन पाए हैं ||
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