Saturday, January 30, 2016

परशुराम महादेव का मंदिर

परशुराम महादेव का मंदिर राजस्थान के राजसमन्द और पाली जिले की सीमा पर स्थित है। मुख्य गुफा मंदिर राजसमन्द जिले में आता है जबकि कुण्ड धाम पाली जिले में आता है। पाली से इसकी दूरी करीब 100 किलोमीटर और कुम्भलगढ़ दुर्गसे मात्र 10 किलोमीटर है।अरावली की सुरम्य पहाड़ियों में स्थित परशुराम महादेव गुफा मंदिर का निर्माण स्वंय परशुराम ने अपने फरसे से चट्टान को काटकर किया था। इस गुफा मंदिर तक जाने के लिए 500 सीढ़ियों का सफर तय करना पड़ता है। इस गुफा मंदिर के अंदर एक स्वयं भू शिवलिंग है जहां पर विष्णु के छठे अवतार परशुराम ने भगवान शिव की कई वर्षो तक कठोर तपस्या की थी। तपस्या के बल पर उन्होंने भगवान शिव से धनुष, अक्षय तूणीर एवं दिव्य फरसा प्राप्त किया था।
पूरी गुफा एक ही चट्टान में बनी हुई है। ऊपर का स्वरूप गाय के थन जैसा है। प्राकृतिक स्वयं-भू लिंग के ठीक ऊपर गोमुख बना है, जिससे शिवलिंग पर अविरल प्राकृतिक जलाभिषेक हो रहा है। मान्यता है कि मुख्य शिवलिंग के नीचे बनी धूणी पर कभी भगवान परशुराम ने शिव की कठोर तपस्या की थी। इसी गुफा में एक शिला पर एक राक्षस की आकृति बनी हुई है। जिसे परशुराम ने अपने फरसे से मारा था।

दुर्गम पहाड़ी, घुमावदार रास्ते, प्राकृतिक शिवलिंग, कल-कल करते झरने एवं प्राकृतिक सौंदर्य से ओत-प्रोत होने के कारण भक्तों ने इसे मेवाड़ के अमरनाथ का नाम दे दिया है।
इस स्थान से जुडी एक मान्यता के अनुसार भगवान बद्रीनाथ के कपाट वही व्यक्ति खोल सकता है जिसने परशुराम महादेव के दर्शन कर रखे हो।एक अन्य मान्यता गुफा मंदिर में स्थित शिवलिंग से जुडी है|मंदिर में शिवलिंग में एक छिद्र है जिसके बारे में मान्यता है कि इसमें दूध का अभिषेक करने से दूध छिद्र में नहीं जाता जबकि पानी के सैकड़ों घड़े डालने पर भी वह नहीं भरता और पानी शिवलिंग में समा जाता है। इसी जगह पर परशुराम ने दानवीर कर्ण को शिक्षा दी थी।

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