Tuesday, May 10, 2011

जय जय हनुमान !!!!


राम नाम के पंख लगा के हनुमत भरे उड़ान ।
महाबली कपि महा तेजमय अद्भुत क्षमतावान ॥

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ।
जे कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥
राम दूत अतुलित बल धामा ।
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

राम काज करिबे को आतुर । चल दिये चतुर सुजान ॥
राम नाम के पंख लगा के हनुमत भरे उड़ान ।
महाबली कपि महा तेजमय अद्भुत क्षमतावान ॥

नहीं विश्राम नींद नहीं भोजन ।
करना पार चार शत योजन ॥
तुमसे है कपि धर्मं प्रतिष्ठा ।
उपमा-हीन तुम्हारी निष्ठा ॥

तीन लोक में राम भक्त नहीं । कोई हनुमंत समान ॥
राम नाम के पंख लगा के हनुमत भरे उड़ान ।
महाबली कपि महा तेजमय अद्भुत क्षमतावान ॥

जिसपे श्री रघुवर की छाया ।
कोई उसको रोक न पाया ॥
बाधा विघ्न को लाँघ समंदर ।
निर्भय पवन वेग से उड़कर ॥

सांझ समय लंका नगरी में । पहुँच गए हनुमान ॥
राम नाम के पंख लगा के हनुमत भरे उड़ान ।
महाबली कपि महा तेजमय अद्भुत क्षमतावान

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