Sunday, September 6, 2015

भाग्यशाली अंक 18

अंकशास्त्र के अनुसार हमारे जन्म की तारीख जिसे हम मूलांक कहते हैं, हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है। यह मूलांक हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर असरदार साबित होता है।इस मूलांक के जरिये किसी व्यक्ति के स्वभाव, उसकी पसंद-नापसंद, उसके लिए जीवन में क्या अच्छा है तथा कौन सी चीज़ें उसके लिए बुरी साबित हो सकती हैं, यह सारी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। ‘18’ के अंक को अंकशास्त्र विद्या के अनुसार बेहद असरदार माना गया है। यह अंक अपने आप ही आपके लिए सौभाग्यशाली साबित हो सकता है। इस अंक में ऐसे चमत्कारी प्रभाव हैं कि यह रुके हुए काम तो बनाता ही है, साथ ही इस अंक का परस्पर उपयोग एक धनहीन व्यक्ति को मालामाल बना सकता है।18 अंक दुनिया भर में काफी शुभ अंक माना जाता है। यह बात हर कोई जानता है कि अंकशास्त्र के भीतर यदि कोई अंक सबसे अशुभ माना गया है तो वह है 13। इस अंक का प्रभाव इतना अधिक है कि लोग इसे इस्तेमाल करने से भी कतराते हैं।पर 18 अंक को लेकर दुनिया भर में कई मान्यताएं देखी गई हैं। चीन में मान्यता है कि अंक 18 धन और समृद्धि का प्रतीक है। इसलिए व्यवसाय या नौकरी से संबंधित या फिर कोई भी धन से जुड़ा कार्य करने के लिए 18 तारीख को जरूर चुना जाता है।मान्यताओं के आधार पर अंक 18 का उच्चारण करने से सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है जो धन वैभव को आकर्षित करता है। चीन में यह विश्वास इतना गहरा है कि यहां लोग 18वें नंबर का घर और 18 नंबर का फ्लैट लेना पसंद करते हैं। एक लाईन में बने मकानों में सभी के दाम एक जैसे होते हैं लेकिन इनमें से 18वें नंबर का मकान सबसे महंगा बिंकता है। हमारे देश भारत में भी अंक 18 को शुभ माना जाता है।आज से ही नहीं बल्कि पौराणिक युग से 18 अंक को महत्व हासिल हुआ है। हिन्दू पुराणों की संख्या 18 रखी गई है, इसके अलावा शास्त्र भी कुल 18 ही हैं। महाभारत महाकाव्य को भी 18 भागों में ही बांटा गया है।18 कोजोड़ने से 9 मूलांक आता है जो गुरु से प्रभावित है, जो व्यक्ति के जीवन में धन और उन्नति का मार्ग खोलता है। इसलिये इस तारीख को जन्म लेने वाले लोग काफी भाग्य शाली माने जाते हैं। इसके अलावा 18 अंक की तरह ही भारत में अंक 9 का काफी इस्तेमाल किया जाता है।

1 comment:

  1. श्री गीता शास्त्र में 18 योग है, 18 माहात्म्य, है।
    महाभारत 18 पर्व , 18 विद्या , 18 शास्त्र, 18 संख्या, 18 अक्षोहिनी सेना , 18 स्वर, 18 महाराज्य, ।

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