Monday, April 25, 2011

हनुमान जी द्वारा माँ सीता की स्तुति

हनुमान जी द्वारा माँ सीता की स्तुति

जानकि त्वाम् नमस्यामि सर्वपापप्रणाशिनीम् ॥

दारिद्र्यरणसन्हर्त्री भक्तानामिष्टदायिनीम् ॥

विदेहराजतनयां राघवानन्दकारिणीम ॥

भूमेर्दुहितरं विद्यां नमामि प्रकृतिं शिवाम् ॥

पौलस्त्यैश्वर्यसन्हर्त्री भक्ताभीष्टाम् सरस्वतीम् ॥

पतिव्रताधुरीणां त्वाम् नमामि जनकात्मजां ॥

अनुग्रहपरामृद्धिमनघां हरिवल्लभाम ॥

आत्मविद्यां त्रयीरूपामुमारूपां नमाम्यहं ॥

प्रसादाभिमुखीम् लक्ष्मीं क्षीराब्धितनयां शुभां ॥

नमामि चन्द्रभगिनीम् सीताम् सर्वाङ्गसुन्दरीम् ॥

नमामि धर्मनिलयां करुणां वेदमातरं ॥

पद्मालयां पद्महस्तां विष्णु वक्षः स्थलालयां ॥

नमामि चन्द्रनिलयां सीतां चन्द्रनिभाननां ॥

आल्हादरूपिणीम् सिद्धिं शिवाम् शिवकरीं सतीम् ॥

नमामि विश्वजननीम् रामचन्द्रेष्टवल्लभां ॥

सीतां सर्वानवद्यान्गीम् भजामि सततं हृदा ॥

(स्कन्द पुराण ४६/५०-५७)

जो मनुष्य वायुपुत्र हनुमान द्वारा वर्णित श्री राम और सीताजी के इन पाप नाशक स्तोत्रों का प्रतिदिन पाठ करता है , वह सदा मनोवांछित महान एश्वर्य का उपभोग करता है |( श्री राम की स्तुति का स्तोत्र 22.4.2011 को दिया जा चुका है )

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