Wednesday, April 6, 2011

दुर्गा स्तुति

मिटटी का तन हुआ पवित्र , गंगा के स्नान से ,
अन्तः करण हो जाये पवित्र , जगदम्बे के ध्यान से । 1

शक्ति शक्ति दो मुझे , करूँ तुम्हारा ध्यान ,
पथ निर्विघ्न हो मेरा , मेरा हो कल्याण । 2

हृदय सिंघासन पर आ बैठो मेरी माँ,
सुनो विनय मम दीन की , दो मुझको वरदान |3

सुन्दर दीपक घी भरा , करा आज तैयार ,
ज्ञान उजाला माँ करो , मेटो मोह अन्धकार |4

चन्द्र सूर्य की रोशनी , चमके चमन अखंड ,
सब से ज्यादा तेज है ,तेरा तेज प्रचंड |5

दुर्गा जग जननी मेरी , रक्षा करो सदैव ,
दूर करो माँ अम्बिके , मेरे सारे क्लेश |6

श्रद्धा और विश्वास से , तेरी ज्योत जलाऊँ ,
तेरा ही है आसरा , तेरे ही गुण गाऊँ |7

मैं अनजान मलिन मन, ना जानूँ कोई रीत ,
अट पट वाणी को ही माँ, समझो मेरी प्रीत |8

मेरे अवगुण बहुत हैं , करना ना तुम ध्यान .
सिंघवाहिनी माँ मेरी, करो मेरा कल्याण | 9

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