को भव सागर पार उतारे राम बिन कौन सम्हारे, ।
टूटी फूटी नाव हमारी पहुँच न पाई तट पर,
जैसे कोई प्यासा राही, भटक गया पनघट पर,
पास मेरे तुम मुस्काते हो दोनो बाँह पसारे,
को भव सागर पार उतारे राम बिन कौन सम्हारे |
मेरे राम मुझे शक्ति दे, मन में मेरे दृढ़ भक्ति दे,
राम काम मैं करूँ निरंतर, राम नाम चित्त धारे,
को भव सागर पार उतारे राम बिन कौन सम्हारे |
जीवन पथ की उलझन लख कर, खड़े न हो जाना तुम थक कर,
तेरा साथी, राम निरंजन, चलता साथ तुम्हारे,
को भव सागर पार उतारे राम बिन कौन सम्हारे |
टूटी फूटी नाव हमारी पहुँच न पाई तट पर,
जैसे कोई प्यासा राही, भटक गया पनघट पर,
पास मेरे तुम मुस्काते हो दोनो बाँह पसारे,
को भव सागर पार उतारे राम बिन कौन सम्हारे |
मेरे राम मुझे शक्ति दे, मन में मेरे दृढ़ भक्ति दे,
राम काम मैं करूँ निरंतर, राम नाम चित्त धारे,
को भव सागर पार उतारे राम बिन कौन सम्हारे |
जीवन पथ की उलझन लख कर, खड़े न हो जाना तुम थक कर,
तेरा साथी, राम निरंजन, चलता साथ तुम्हारे,
को भव सागर पार उतारे राम बिन कौन सम्हारे |
No comments:
Post a Comment