Monday, February 22, 2016

उज्जैन के 84 महादेव- भाग 20

84 महादेव : श्री खंडेश्वर महादेव (31)


श्री महादेव का मंदिर शिव माहात्म्य के मूल्यों को दर्शाता है। माना जाता है कि श्री खंडेश्वर महादेव के दर्शन से विष्णु, ब्रह्मा, इंद्र, कुबेर, अग्नि आदि देवताओं ने भी सिद्धि प्राप्त की थी।
पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रेतायुग में भद्राश्व नाम के राजा थे। उनकी कई रानियां थी। उन रानियों में सबसे अद्भुत सौंदर्य रानी कान्तिमती का था। एक बार उनके यहां महामुनि अगस्त्य आए और बोले कि वे वहां सात दिन निवास करेंगे। राजा ने उनका आदर सत्कार किया और उनके वास को सौभाग्य माना। कान्तिमती को देख सिद्धियों से युक्त अगस्त्य ऋषि कुछ पुरानी रहस्यमयी बातों को जान कर बेहद प्रसन्न हुए और खुशी से नृत्य करने लगे। तब राजा ने आश्चर्यचकित हो महामुनि से पूछा कि ऋषिवर आपको कौन सी प्रसन्नता हो रही है जो आप नृत्य कर रहे हैं? इस पर मुनि बोले कि तुम सब मूर्ख हो जो मेरा अभिप्राय नहीं समझ रहे। तब राजा भद्राश्व ने हाथ जोड़ कर मुनि से निवेदन किया कि कृपया इस रहस्य को उजागर करें।
 
तब मुनि ने कहा कि राजन, पूर्वजन्म में विदिशा नाम की जगह में वैश्य हरिदत्त के घर पर आपकी यह सुन्दर पत्नी कान्तिमती दासी का कार्य करती थी और आप इसके पति थे एवं नौकर का कार्य करते थे। वह वैश्य जिनके यहां तुम दोनों काम करते थे वह महादेव का परम भक्त था। वह नित्य ही महाकाल सेवा करता था। एक बार वह वैश्य महाकाल वन आया और महादेव का पूजन अर्चन किया।
 
कुछ समय प्राप्त आप दोनों की मृत्यु हो गई लेकिन उस वैश्य की भक्ति के प्रभाव से आपको इस जन्म में राजस्व प्राप्त हुआ है। मुनि की बात सुन कर राजा महाकाल वन पहुंचा और वहां पहुँच कर उसने एक दिव्य लिंग खंडेश्वर का पूजन अर्चन किया। उसके पूजन अर्चन से प्रसन्न हो महादेव ने निष्कण्टक राज्य भोग का आशीर्वाद दिया।
 
मान्यतानुसार श्री खंडेश्वर महादेव के दर्शन करने से अद्भुत सिद्धि प्राप्त होती है एवं पूर्वजन्म के पापों का नाश होता है। ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास में यहां दर्शन करने का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। श्री खंडेश्वर महादेव का मंदिर आगर रोड पर खिलचीपुर गांव में स्थित है।

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