Tuesday, February 14, 2012

जय जय बजरंगी महावीर

जय जय बजरंगी महावीर,

तुम बिन को जन की हरे पीर |





अतुलित बलशाली तव काया ,

गति पिता पवन का अपनाया ,

शंकर से दैवी गुण पाया ,

शिव पवन पूत हे धीर वीर |

जय जय बजरंगी महावीर,

तुम बिन को जन की हरे पीर |





दुःख भंजन सब दुःख हरते हो,

आरत की सेवा करते हो,

पल भर विलम्ब ना करते हो,

जब भी भक्तों पर पड़े भीर|



जय जय बजरंगी महावीर,

तुम बिन को जन की हरे पीर |



जब जामवंत ने ज्ञान दिया,

झट सिय खोजन स्वीकार किया,

शत जोजन सागर पर किया,

निज प्रभु को जब देखा अधीर |



जय जय बजरंगी महावीर,

तुम बिन को जन की हरे पीर |





शठ रावण त्रास दिया सिय को,

भयभीत भई मैया जिय सो,

माँगत कर जोर अगन तरु सों,

दें मुंदरी उनको दियो धीर |



जय जय बजरंगी महावीर,

तुम बिन को जन की हरे पीर |





जब लगा लखन को शक्ति बाण,

चिंतित हो विलखे बन्धु राम,

कपि तुम सांचे सेवक समान,

लाये बूटी संग द्रोण गीर |



जय जय बजरंगी महावीर,

तुम बिन को जन की हरे पीर |

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