जय जय बजरंगी महावीर,
तुम बिन को जन की हरे पीर |
अतुलित बलशाली तव काया ,
गति पिता पवन का अपनाया ,
शंकर से दैवी गुण पाया ,
शिव पवन पूत हे धीर वीर |
जय जय बजरंगी महावीर,
तुम बिन को जन की हरे पीर |
दुःख भंजन सब दुःख हरते हो,
आरत की सेवा करते हो,
पल भर विलम्ब ना करते हो,
जब भी भक्तों पर पड़े भीर|
जय जय बजरंगी महावीर,
तुम बिन को जन की हरे पीर |
जब जामवंत ने ज्ञान दिया,
झट सिय खोजन स्वीकार किया,
शत जोजन सागर पर किया,
निज प्रभु को जब देखा अधीर |
जय जय बजरंगी महावीर,
तुम बिन को जन की हरे पीर |
शठ रावण त्रास दिया सिय को,
भयभीत भई मैया जिय सो,
माँगत कर जोर अगन तरु सों,
दें मुंदरी उनको दियो धीर |
जय जय बजरंगी महावीर,
तुम बिन को जन की हरे पीर |
जब लगा लखन को शक्ति बाण,
चिंतित हो विलखे बन्धु राम,
कपि तुम सांचे सेवक समान,
लाये बूटी संग द्रोण गीर |
जय जय बजरंगी महावीर,
तुम बिन को जन की हरे पीर |
Tuesday, February 14, 2012
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